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दिल के चंद एहसास



था गुरूर नभ को, मेघ की घटाओं पर
सनम ने जुल्फें बिखरा दी, वो पानी-पानी हो गया।।
चंद अल्फाज ही बोले थे, होंठों को खोलकर सनम ने
गुलाबी गुलाब भी, होंठों का खानदानी हो गया।। 



----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---

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8 Comments

Pratikhya Priyadarshini

09-Oct-2022 01:06 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Raziya bano

07-Oct-2022 10:15 PM

लाजवाब रचना सर

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Muskan khan

07-Oct-2022 05:58 PM

Very nice 👌👌

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